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तो क्या सचिन पायलट के साथ कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं का आंकलन कर रहे हैं राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा?

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तो क्या सचिन पायलट के साथ कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं का आंकलन कर रहे हैं राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा?

पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की दिल्ली में भाजपा के बड़े नेताओं से वार्ता। 
7 जून को भी जयपुर में कांग्रेस के वार रूम में बैठकर राजस्थान के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कांग्रेस के बड़े नेताओं से फीड बैक लिया। रंधावा के 7 जून के फीडबैक पर सवाल उठ रहे हैं कि पिछले दिनों ही रंधावा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ सभी विधायकों और प्रमुख नेताओं से फीडबैक लिया था। इस फीडबैक की रिपोर्ट अभी सामने भी नहीं आई कि 7 जून को फिर से फीडबैक की प्रक्रिया शुरू हो गई है। जानकारों की मानें तो इस बार का फीडबैक पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट पर केंद्रित है। रंधावा इस बात का आंकलन कर रहे हैं कि यदि पायलट कांग्रेस छोड़ते हैं तो कांग्रेस के कितने नेता उनके साथ जाएंगे। असल में पिछले दिनों दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े और राहुल गांधी के साथ मुख्यमंत्री गहलोत व पायलट की वार्ता तो हुई, लेकिन दस दिन बाद भी कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आए हैं। दिल्ली में भले ही दोनों नेताओं ने संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल के साथ फोटो खींचा लिया हो, लेकिन राजस्थान में गहलोत और पायलट के बीच एकजुटता देखने को नहीं मिल रही है। दिल्ली से लौटने के बाद पायलट ने स्पष्ट कर दिया कि वे अपनी मांग पर कायम है। जबकि पायलट की तीनों मांगों को सीएम गहलोत पहले ही खारिज कर चुके हैं। पायलट की मांग है कि राजस्थान लोक सेवा आयोग को बंद किया जाए तथा पेपर लीक के प्रभावित युवाओं को मुआवजा दिया जाए। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में हुए भ्रष्टाचार की जांच भी कराई जाए। जब इन तीनों मांगों को खारिज किया जा चुका है तो फिर  पायलट के स्टैंड को लेकर भी चर्चा है। खडग़े और राहुल गांधी की समझौता बैठक के बाद भी अभी तक ऐसे कोई संकेत नहीं मिले हैं, जिसमें गहलोत और पायलट के बीच एकजुटता नजर आती हो। जानकारों की मानें तो पायलट ने नया राजनीतिक दल बनाने का निर्णय ले लिया है। पायलट का दल विधानसभा चुनाव से पूर्व अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी और हनुमान बेनीवाल की आरएलपी से समझौता कर सकते हैं। केजरीवाल और बेनीवाल तो पहले ही सचिन पायलट को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने पर सहमति दे चुके हैं। यदि पायलट, केजरीवाल और बेनीवाल के साथ समझौता करते हैं तो फिर कांग्रेस को नुकसान होने की उम्मीद है। सूत्रों की मानें तो पायलट के कांग्रेस छोड़ने को लेकर हाईकमान भी चिंतित है। हाईकमान खास कर गांधी परिवार का प्रयास है कि पायलट को कांग्रेस में ही बनाए रखा जाए। जबकि सीएम गहलोत चाहते हैं कि पायलट जल्द से जल्द कांग्रेस से निकल जाए। कांग्रेस में सचिन पायलट की हैसियत का आकलन करने के लिए ही रंधावा प्रयास कर रहे हैं।

  
राजे दिल्ली में: 
चार माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर 7 जून को कांग्रेस के प्रभारी रंधावा ने जयपुर में बैठकर बड़े नेताओं के साथ मंथन किया तो वहीं 7 जून को ही भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने दिल्ली में भाजपा मुख्यालय में बड़े नेताओं से वार्ता की। राजे ने भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महासचिव बीएल संतोष और राजस्थान के प्रभारी अरुण सिंह से मुलाकात की है। माना जा रहा है कि यह मुलाकात आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर हुई है। यहां यह खासतौर से उल्लेखनीय है कि गत पांच जून को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन महासचिव बीएल संतोष के साथ लंबी वार्ता की थी। यह वार्ता इसी वर्ष होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के संदर्भ में थी। माना जा रहा है कि शाह के निर्देशों के अनुरूप ही सात जून को बीएल संतोष और अरुण सिंह ने राजे से मुलाकात की है। चूंकि यह मुलाकात भाजपा मुख्यालय में हुई, इसलिए इसके राजनीतिक मायने कुछ ज्यादा ही है। पिछले साढ़े चार वर्ष से राजे राजस्थान में तो हैं, लेकिन भाजपा में उनकी राजनीतिक सक्रियता नजर नहीं आती है। राजे महत्वपूर्ण मौकों पर सिर्फ मंच पर नजर आती हैं, लेकिन किसी भी आंदोलन अथवा प्रधानमंत्री की सभा की तैयारियों में राजे की कोई भूमिका नहीं होती। गत 31 मई को भी पीएम मोदी की अजमेर की सभा की तैयारियों में राजे की भूमिका नहीं थी। सभा से एक दिन पहले राजे अजमेर आईं और अगले दिन पीएम के साथ मंच पर बैठी। पीएम की सभा में भीड़ जुटाने से लेकर अन्य सभी तैयारियां भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी और भाजपा विधायक दल के नेता राजेंद्र राठौड़ के पास रही। 31 मई की सभा में पीएम मोदी ने तो भाजपा के किसी नेता का नाम तक नहीं लिया। नेताओं के नाम के बजाए मोदी ने राजस्थान के सभी लोक देवताओं के नाम गिनाए।
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