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सुनिता विलियम्स का अन्तरिक्ष में कार्य व सुनिता विलियम्स की जीवन शैली तथा पद ।


सुनिता विलियम्स का अंतरिक्ष में कार्य

सुनिता विलियम्स एक अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री और नौसेना अधिकारी हैं, जिन्होंने दो बार अंतरिक्ष में यात्रा की है। वे नासा (NASA) की अंतरिक्ष यात्री हैं और अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में कई महत्वपूर्ण मिशनों का हिस्सा रही हैं।

अंतरिक्ष में उनके कार्य:

  1. पहली अंतरिक्ष यात्रा (2006-2007):

    • दिसंबर 2006 में STS-116 मिशन के तहत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पहुंचीं।
    • ISS में 195 दिन बिताए, जो उस समय किसी महिला अंतरिक्ष यात्री के लिए सबसे लंबा समय था।
    • इस दौरान उन्होंने चार बार स्पेसवॉक (अंतरिक्ष में चहलकदमी) किया, जिसमें कुल 29 घंटे 17 मिनट का समय लगाया।
    • ISS पर विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोग और तकनीकी सुधार किए।
  2. दूसरी अंतरिक्ष यात्रा (2012):

    • जुलाई 2012 में Expedition 32/33 मिशन के तहत फिर से ISS गईं।
    • उन्होंने अंतरिक्ष में साइंस एक्सपेरिमेंट, रोबोटिक्स ऑपरेशन और ISS के मेंटेनेंस का कार्य किया।
    • दो और स्पेसवॉक किए, जिससे उनका कुल स्पेसवॉक समय 50 घंटे 40 मिनट हो गया, जो महिला अंतरिक्ष यात्रियों में एक रिकॉर्ड था।
    • इस दौरान वह ISS की कमांडर (अध्यक्ष) बनने वाली दूसरी महिला बनीं।

सुनिता विलियम्स की जीवनशैली और पद

जीवनशैली:

  • सुनिता विलियम्स का जीवन बेहद अनुशासित और फिटनेस-ओरिएंटेड है।
  • वे नियमित रूप से योग और दौड़ (रनिंग) करती हैं।
  • वे अंतरिक्ष में भी दौड़ती थीं और उन्होंने वहां एक मैराथन (42.2 किमी दौड़) पूरी की।
  • शाकाहारी (Vegetarian) होने के कारण वे विशेष अंतरिक्ष भोजन का सेवन करती हैं।
  • उन्हें भारतीय संस्कृति से गहरा लगाव है, और वे भगवद गीता पढ़ना पसंद करती हैं।

पद एवं उपलब्धियां:

  • नासा की अनुभवी अंतरिक्ष यात्री और ISS में कमांडर रह चुकी हैं।
  • उन्होंने अब तक 300 से अधिक दिन अंतरिक्ष में बिताए हैं।
  • वे 2024 में नासा के "Boeing Starliner" मिशन के तहत फिर से अंतरिक्ष यात्रा करने वाली थीं।
  • अमेरिकी नौसेना में हेलीकॉप्टर पायलट के रूप में भी कार्य किया।
  • उन्हें कई पुरस्कार मिले, जिनमें "नासा स्पेस फ्लाइट मेडल" और "डिफेंस सुपीरियर सर्विस मेडल" शामिल हैं।

निष्कर्ष:

सुनिता विलियम्स एक प्रेरणादायक महिला हैं जिन्होंने विज्ञान और अंतरिक्ष अन्वेषण में बड़ा योगदान दिया है। उनकी जीवनशैली और अनुशासन सभी के लिए प्रेरणादायक हैं, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो अंतरिक्ष यात्री बनने का सपना देखते हैं।


सुनिता विलियम्स का अन्तरिक्ष में कार्य व सुनिता विलियम्स की जीवन शैली तथा पद । 


सुनिता विलियम्स (Sunita Williams) एक प्रसिद्ध अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री और नौसेना अधिकारी हैं। उन्होंने नासा के लिए कई महत्वपूर्ण अंतरिक्ष मिशनों में भाग लिया है और अंतरिक्ष में कई रिकॉर्ड स्थापित किए हैं। उनकी जीवन शैली, कार्य और पदों के बारे में विस्तार से जानकारी नीचे दी गई है:

सुनिता विलियम्स का अंतरिक्ष में कार्य
1. अंतरिक्ष यात्रा:
   - सुनिता विलियम्स ने अपना पहला अंतरिक्ष मिशन **STS-116** (डिस्कवरी स्पेस शटल) के साथ 9 दिसंबर, 2006 को शुरू किया। वह अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में शामिल हुईं और वहां 195 दिन बिताए।
   - उन्होंने अपने दूसरे मिशन **सोयुज TMA-05M** के साथ 15 जुलाई, 2012 को अंतरिक्ष में प्रवेश किया और ISS पर 127 दिन बिताए।
   - उन्होंने अंतरिक्ष में कुल 50 घंटे से अधिक का स्पेसवॉक किया, जो किसी भी महिला अंतरिक्ष यात्री के लिए एक रिकॉर्ड है।

2. अंतरिक्ष में उपलब्धियां:
   - सुनिता विलियम्स ने अंतरिक्ष में सबसे लंबे समय तक रहने का रिकॉर्ड बनाया।
   - उन्होंने ISS पर कई वैज्ञानिक प्रयोग किए और अंतरिक्ष स्टेशन के रखरखाव में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

सुनिता विलियम्स की जीवन शैली
1. प्रारंभिक जीवन:
   - सुनिता विलियम्स का जन्म 19 सितंबर, 1965 को ओहियो, यूएसए में हुआ था। उनके पिता भारतीय मूल के हैं और माता स्लोवेनियाई मूल की हैं।
   - उन्होंने मैसाचुसेट्स से हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी की और फ्लोरिडा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की।

2. सैन्य करियर:
   - सुनिता विलियम्स ने अमेरिकी नौसेना में शामिल होकर एक हेलीकॉप्टर पायलट के रूप में काम किया। उन्होंने कई सैन्य अभियानों में भाग लिया और नौसेना में उच्च पदों पर कार्य किया।

3. नासा में करियर:
   - 1998 में, सुनिता विलियम्स को नासा द्वारा अंतरिक्ष यात्री के रूप में चुना गया। उन्होंने अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण पूरा किया और कई मिशनों में भाग लिया।

 सुनिता विलियम्स के पद
1. नौसेना अधिकारी:
   - सुनिता विलियम्स ने अमेरिकी नौसेना में कप्तान (Captain) के पद तक काम किया।

2. नासा अंतरिक्ष यात्री:
   - नासा में, वह एक प्रमुख अंतरिक्ष यात्री के रूप में कार्यरत हैं और अंतरिक्ष मिशनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

3. अन्य पद:
   - सुनिता विलियम्स ने ISS पर फ्लाइट इंजीनियर और कमांडर के रूप में भी कार्य किया है।


सुनिता विलियम्स ने अंतरिक्ष विज्ञान और महिलाओं के लिए प्रेरणा का काम किया है। उनकी उपलब्धियों ने उन्हें दुनिया भर में प्रसिद्ध बना दिया है। 

हमारे भारतीय मूल की बेटी और नासा की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स आज सकुशल पृथ्वी पर वापस लौटी हैं, उनका साहस, संकल्प और अदम्य उत्साह वंदनीय है |
सुनीता विलियम्स और उनके साथियों का हृदय से अभिनंदन एवं स्वागत! 
NASA  


 "धैर्य, साहस और आत्मविश्वास की मिसाल!"

सुनीता विलियम्स ने अंतरिक्ष में अद्वितीय संकल्प और धैर्य का परिचय दिया। कठिनाइयों के बावजूद, उनका समर्पण और साहस प्रेरणा का प्रतीक है। 


आज उनका पृथ्वी पर स्वागत करते हुए, हम सभी को यह सीख लेनी चाहिए—जो धैर्य के साथ डटा रहता है, वही इतिहास रचता है!

जब हौसले बुलंद हों और इरादे अडिग, तो अंतरिक्ष की दूरियां भी छोटी लगने लगती हैं! सुनीता विलियम्स जी ने लगातार 9 माह तक अंतरिक्ष में रहकर दुनिया को दिखाया कि भारतीय जड़ें कितनी मजबूत होती हैं।

उनकी साहसिक यात्रा और ऐतिहासिक उपलब्धि पर गर्व का अनुभव हो रहा है। अंतरिक्ष से सफल वापसी सिर्फ एक वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं, बल्कि प्रेरणा का ऐसा स्रोत है, जो आने वाली पीढ़ियों को सपने देखने और उन्हें साकार करने की शक्ति देगा।

सुनीता जी और इस मिशन से जुड़े प्रत्येक वैज्ञानिक को हार्दिक बधाई एवं अभिनंदन!

पत्रकारों की आज़ादी पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर  पुलिस नहीं पूछ सकती खबरों के सूत्र! 

नई दिल्ली।:
पत्रकारों की स्वतंत्रता पर लगातार बढ़ते दबाव और पुलिसिया पूछताछ पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश (न्यायमूर्ति) संजीव खन्ना की अगुवाई वाली बेंच ने साफ कर दिया है कि कोई भी पुलिस अधिकारी किसी भी पत्रकार से उसके सूत्रों के बारे में जानकारी नहीं मांग सकता। सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 19(1) और 22 का हवाला देते हुए कहा कि पत्रकारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर किसी भी तरह का अंकुश अस्वीकार्य है।
चीफ जस्टिस ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा, “आजकल यह देखने को मिल रहा है कि बिना किसी ठोस सबूत और बिना जांच के पत्रकारों पर मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं। पुलिस श्रेष्ठ बनने के चक्कर में पत्रकारों की स्वतंत्रता का हनन कर रही है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि यहां तक कि कोर्ट भी किसी पत्रकार को अपने सूत्र बताने के लिए बाध्य नहीं कर सकता।
इस फैसले के बाद मीडिया जगत में जबरदस्त उत्साह है। गौरतलब है कि पत्रकारों को अपने सूत्रों को गोपनीय रखने का अधिकार “प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया एक्ट, 1978” की धारा 15(2) में दिया गया है। हालांकि, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के नियम सीधे तौर पर कोर्ट में लागू नहीं होते, लेकिन यह पत्रकारिता की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए बेहद अहम हैं।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला पत्रकारिता की स्वतंत्रता को दबाने की कोशिशों पर बड़ा प्रहार है। यह साफ संदेश है कि पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है और उस पर गैरजरूरी दबाव या दखल स्वीकार्य नहीं होगा।

प्लीज । website " www.jhalko.online " को क्लिक करके क्षैत्रीय एवं राष्ट्रीय समाचार पढे ।



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