राजस्थान में पंचायतीराज पुनर्गठन व चुनाव प्रक्रिया पर विशेष रिपोर्ट
राजस्थान में पंचायतीराज विभाग ने हाल ही में बड़े स्तर पर पंचायतों, पंचायत समितियों व जिला परिषदों के पुनर्गठन (Reorganization) और परिसीमन (Seamining) की प्रक्रिया पूरी कर दी है, जिसके बाद 14635 ग्राम पंचायतें, 450 पंचायत समितियाँ और 41 जिला परिषदें तैयार की गई हैं। ये बदलाव आगामी पंचायत चुनावों के लिए आधार तैयार करते हैं, जिनका अधिसूचना जारी और वार्डों का सीमांकन भी शुरू हो चुका है।
पंचायतीराज पुनर्गठन
राजस्थान सरकार ने प्रदेश के पंचायत राज ढांचे को अधिक समुचित, सुदृढ़ व प्रतिनिधि-आधारित बनाने के उद्देश्य से बड़े पैमाने पर पुनर्गठन किया। इसके अंतर्गत ग्राम पंचायतों, पंचायत समितियों और जिला परिषदों की संख्या, सीमाएं और जनसंख्या के अनुपात को ध्यान में रखते हुए परिसीमन किया गया।
इस नई संरचना के बाद ग्राम पंचायतों, पंचायत समितियों व जिला परिषदों में अधिक प्रतिनिधियों, बेहतर सेवाओं और लोकतांत्रिक भागीदारी में वृद्धि का लक्ष्य रखा गया है।
कुल बनाई गई नई पंचायतों की संख्या
कुल ग्राम पंचायतें: 14,635
जिसमें 11,194 पुराने पंचायतों के अतिरिक्त 3,441 नई ग्राम पंचायतें शामिल हैं।
पंचायत बनाने के मापदंड:
मुख्य रूप से जनसंख्या, भौगोलिक विस्तार, ग्रामों के समूह की दूरी और प्रशासनिक कार्यक्षमता के आधार पर नए पंचायतों का गठन किया गया। छोटे-बड़े क्षेत्रों के बीच संतुलन बनाते हुए योजनाबद्ध परिसीमन लागू किया गया।
कुल बनाई गई नई पंचायत समिति संख्या
कुल पंचायत समितियाँ:
450 ,पहले 365 थीं, नए स्थायी पुनर्गठन में 85 नई पंचायत समितियाँ शामिल की गईं।
पंचायत समिति बनाने के मापदंड:
एक लाख तक की जनसंख्या पर प्राथमिक समिति के रूप में 15 वार्ड निर्धारित,
प्रत्येक अतिरिक्त 15,000 आबादी पर 2 अतिरिक्त वार्ड का प्रावधान।
प्रशासनिक दक्षता, विकास कार्यों के संचालन और स्थानीय दूरी के आधार पर नए गठन किए गए हैं।
कुल बनाई गई जिला परिषद संख्या
कुल जिला परिषदें: 41
पहले 33 थीं, अब नई पुनर्गठन प्रक्रिया के तहत 8 अतिरिक्त जिला परिषदें शामिल हो गई हैं।
जिला परिषद बनाने के मापदंड:
प्रत्येक जिले की आबादी, भौगोलिक आवश्यकताओं और प्रशासनिक जरूरतों के आधार पर नया परिसीमन किया गया।
जिला स्तर पर अधिक प्रतिनिधित्व और बेहतर विकास योजनाओं के क्रियान्वयन को ध्यान में रखते हुए परिषदों की संख्या बढ़ाई गई।
पुनर्गठन के बाद कुल (पंचायत, पंचायत समिति, जिला परिषद)
पुनर्गठन पूरा होने के बाद कुल:
ग्राम पंचायतें: 14,635
पंचायत समितियाँ: 450
जिला परिषदें: 41
इस नई संरचना के कारण स्थानीय लोकतंत्र के विस्तार, अधिक प्रतिनिधि भागीदारी और विकास योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन की उम्मीद जताई जा रही है।
पंचायतों में वार्ड बनाने की प्रक्रिया एवं मापदंड
पुनर्गठन के बाद अब वार्डों का नया परिसीमन और पुनर्गठन किया जा रहा है। विभाग ने जिला कलक्टरों और उपखंड अधिकारियों को इसके निर्देश जारी किए हैं।
🔹 मुख्य मापदंड:
ग्राम पंचायतों में 3,000 की आबादी तक 7 वार्ड बनाए जाएंगे और प्रत्येक अतिरिक्त 1,000 आबादी पर 2 नए वार्ड गठित होंगे।
पंचायत समितियों में 1 लाख तक 15 वार्ड, अतिरिक्त 15,000 जनसंख्या पर 2 वार्ड।
जिला परिषदों में 4 लाख तक 17 वार्ड, तथा हर अतिरिक्त 1 लाख आबादी पर 2 अतिरिक्त
यह प्रक्रिया 31 दिसंबर 2025 तक पूरी होने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें पहले सात दिन परिसीमन और फिर आपत्ति सुनवाई व अंतिम संशोधन शामिल है।
पंचायती राज चुनाव की संभावित अवधि
राजस्थान उच्च न्यायालय ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि पंचायतों और नगरीय निकायों के चुनाव 15 अप्रैल 2026 तक आयोजित किए जाएं, और परिसीमन प्रक्रिया 31 दिसंबर तक पूरी की जाए।
हालांकि कृषि सत्र और परिसीमन कार्य में थोड़ी देरी के कारण तारीखों में कुछ समय का बदलाव भी हो सकता है, लेकिन अगले साल की पहली तिमाही में पंचायत चुनाव कराने की संभावना प्रबल है।
निष्कर्ष
राजस्थान सरकार का यह व्यापक पुनर्गठन स्थानीय शासन व्यवस्था में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।
✔️ इससे ग्राम-स्तर पर प्रशासनिक पहुँच और जनप्रतिनिधित्व दोनों में वृद्धि होगी।
✔️ नई पंचायतों और समितियों के गठन से ग्रामीण विकास योजनाओं के निष्पादन में तेजी आएगी।
✔️ कांग्रेस व अन्य राजनीतिक दलों के बीच चुनाव तिथि को लेकर चल रही चर्चाओं के बीच आगामी 15 अप्रैल 2026 तक चुनाव कराने का निर्देश उच्च न्यायालय द्वारा जारी किया गया है।
राजस्थान की स्थानीय लोकतांत्रिक संरचना अब नए ढांचे, नए प्रतिनिधित्व और अधिक सामाजिक सहभागी शासन के संग चुनावों की ओर अग्रसर है, जो राज्य के ग्रामीण प्रशासन को और अधिक सशक्त बनाएगा।

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